Shahi Dussehra: ग्वालियर में आज भी होता है शाही दशहरे का आयोजन, जानें कितनी पुरानी है ये परंपरा?

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Gwalior Shahi Dussehra: देश में दशहरे (Dussehra 2023) का त्योहार पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस त्योहार को पूरे भारत में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. देश के कई जगहों पर दशहरे के त्योहार को हर्षोल्लास और भव्यता के साथ सेलिब्रेट किया जाता है, लेकिन देश में तीन ही ऐसे जगह है जहां शाही अंदाज में दशहरे का आयोजन किया जाता है और वो हैं कुल्लू ,मैसूर और ग्वालियर. दरअसल, ग्वालियर (Gwalior Shahi Dussehra) का शाही दशहरा दुनिया भर में काफी फेमस है और इसका आयोजन ढाई सौ साल से अधिक समय से हो रहा है.

बता दें कि ग्वालियर  (Gwalior) में इसकी शुरुआत लगभग ढाई सौ वर्ष पहले सिंधिया राज परिवार (Scindia family) ने की थी. हालांकि राजतंत्र चले जाने के बाद भी सिंधिया परिवार ने आज भी अपनी परम्परा को उसी शाही अंदाज में मनाते चले आ रहे हैं.

पहले निकलती थी महाराज की सवारी 

ग्वालियर में इस शाही दशहरे की मनाने की परम्परा ढाई सौ वर्ष पहले सिंधिया परिवार के तत्कालीन महाराज दौलत राव सिंधिया (Maharaj Daulat Rao Scindia) ने शुरू की थी. दरअसल, महाराज दौलत राव ने अपनी राजधानी मालवा से हटाकर ग्वालियर लाने की खुशी में इसकी शुरुआत की थी. यहां उन्होंने गोरखी स्थित अपने महल में अपने कुलगुरु बाबा मंसूर शाह का स्थान बनवाया और मांढरे की माता के नीचे मैदान को दशहरा मैदान के रूप में चयनित किया था. पहले जब सिंधिया राज परिवार गोरखी स्थित महल में रहता था तो दशहरा को हाथी, घोड़ा और पैदल सैनिकों के साथ महाराज का दशहरा उत्सव महाराज बाड़ा से शुरू होता था. इस दौरान सिंधिया राज्य की सैन्य शक्ति का भी प्रदर्शन किया जाता था.

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Author: Rebulletins

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